top of page

हैट्रिक लगाएंगे निरल या लाल झंडा रोकेगा विजय रथ, फिर कौन मारेगा बाजी , जानिए खास खबर में

  • Writer: Jay Kumar
    Jay Kumar
  • Nov 18, 2024
  • 3 min read

 



ree

TVT NEWS DESK

चाईबासा ( CHAIBASA ) : कोल्हान में पहले चरण के मतदान के बाद अब हर चौक-चौराहों में केवल जीत-हार को लेकर ही चर्चा हो रही है. सभी एक-दूसरे से संभावित चुनाव परिणाम कौन जीतेगा और कौन हारेगा? को लेकर चर्चा कर रहे हैं. हालांकि मतपेटी खुलने अभी चार-पांच दिन का समय है. लेकिन सभी राजनीतिक दल और उनके कार्यकर्ता अपने प्रत्याशी के जीत के ही दावे कर रहे है.


झामुमो के हैट्रिक जीत पर संस्पेंस बरकरार

सबसे अधिक चर्चा मझगांव विधानसभा को लेकर है. मझगांव में आमतौर पर झामुमो और भाजपा के बीच ही सीधा मुकाबला होता रहा है. लेकिन इस बार मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. जिससे झामुमो विधायक निरल पूर्ति के लिए हैट्रिक लगाने को लेकर संस्पेंस है. निर्दलीय प्रत्याशी माधव चंद्र कुकंल उनकी लगातार तीसरी जीत में बाधक बने हुए हैं. मतदान के बाद क्षेत्र के लोगों से मिली जानकारी के अनुसार झामुमो विधायक को लोगों में काफी नाराजगी है. विधायक को जबरदस्त एंटी इंकम्बैंसी का सामना करना पड़ा है. क्षेत्र के लोग बताते हैं कि दस साल के कार्यकाल के दौरान विधायक से नारजगी हद तक बढ़ गई थी, जिससे नाराज लोगों ने भाजपा को वोट करने बजाय निर्दलीय माधव चंद्र कुंकल को समर्थन कर दिया है. जिससे झामुमो को नुकसान हो सकता है.

 


ree

मानकी-मुंडा की नाराजगी कितना असर

चुनाव से पहले ही मझगांव के मानकी-मुंडा संघ ने झामुमो विधायक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. मानकी-मुंडा संघ ने सीएम हेमंत सोरेन से विधायक की शिकायत करते हुए टिकट किसी दूसरे नेता को देने की मांग कर दी थी, लेकिन विधायक अंततः टिकट लेने में तो कामयाब हो गए, लेकिन मानकी-मुंडा संघ की नाराजगी को दूर करने में पूरी तरह विफल रहे. जानकार बताते हैं कि मानकी-मुंडा संघ ने झामुमो को समर्थन करने का फैसला तो कर लिया, लेकिन भाजपा को भी समर्थन नहीं करने का फैसला लिया, बल्कि निर्दलीय प्रत्याशी माधव चंद्र कुंकल को समर्थन देने का मन बनाया. यदि मानकी-मुंडा संघ के फैसले का असर लोगों पर हुआ, तो झामुमो की जीत कठिन हो जाएगी.


विधायक के सबसे भरोसेमंद सुनील सिरका की खामोशी

बात सिर्फ मानकी-मुंडा तक होती तो उम्मीद की किरण कुछ दिखती, लेकिन विधायक निरल पूर्ति के सबसे भरोसेमंद कहे जाने सुनील सिरका की खामोशी ने झामुमो की जीत को और भी अधिक संस्पेंस बना दिया है. सुनील सिरका निरल के हर जीत में सबसे बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों से दोनों के बीच मतभेद बहुत गहरे हो गए, यहां तक कि सुनील सिरका ने झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ने का मन बना चुके थे, लेकिन ऐन वक्त पर टिकट नहीं मिला, तो पार्टी से बगावत भी नहीं की, लेकिन चुनाव में विधायक को मदद करने की बजाय चुपचाप घर में शांत बैठ गए. झामुमो कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच गए ही नहीं. सुनील सिरका का मझगांव के झामुमो के कार्यकर्ताओं में काफी अच्छी पकड़ मानी जाती है और वे जिले के संवेदक संघ के अध्यक्ष भी हैं. सुनील सिरका की खामोशी झामुमो विधायक को महंगा पड़ सकता है.  


ree


लाल झंडे के कारण खिल सकता है भगवा झंडा

जिस तरह से मझगांव में मानकी-मुंडा संघ की नाराजगी और सुनील सिरका की खामोशी संकेत दे रही है, उससे लाल झंडा को बढ़त जरूर मिल सकती है, लेकिन जीत की संभावना कम है, बल्कि झामुमो के वोट निर्दलीय की तरफ शिफ्ट होने का फायदा भाजपा को मिल सकता है और दस बाद भगवा मझगांव में खिल सकता है, लेकिन यह सब संभावनों पर टिका है, शनिवार 23 नवबंर को मतपेटी खुलते ही सारे अटकलों और कयासों पर विराम लग जाएगा.

Comments


bottom of page