SIR से क्यों खौफजदा हैं तेजस्वी यादव ? क्या भाजपा को मिलेगा इसका फायदा ? जानिए चुनाव आयोग के आंकड़े से
- Jay Kumar
- Jul 24
- 3 min read

उपेंद्र गुप्ता
रांची ( RANCHI ) : नवंबर में बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसी को लेकर चुनाव आयोग तैयारियों में जुटा है. तौयारियों के क्रम में चुनाव आयोग का सबसे पहले मतदाता सूची को अपडेट करने और फर्जी मतदाताओं को हटाने के लिए विशेष सत्यापन अभियान (SIR) चला रहा है. चुनाव से पहले यह अभियान चुनाव आयोग का एक रूटीन की तरह कार्य है. 2003 के बाद बिहार में पहली बार मतदाता सूची में शुद्धिकरण का कार्य किया जा रहा है. लेकिन चुनाव आयोग का यह अभियान इंडिया गठबंधन को पच नहीं रहा है और पटना से लेकर दिल्ली तक सदन से लेकर सड़क तक जोरदार विरोध कर रही है, इंडी गठबंधन का आरोप है कि भाजपा इस अभियान का दुरुपयोग कर रही है ताकि विपक्षी दलों के समर्थकों के वोट काटे जा सकें. लेकिन क्या इसमें कोई सच्चाई है, क्यों तेजस्वी यादव मतदाता सूची के विशेष सत्यापन अभियान (SIR) से खौफजदा हैं ? आइएं समझते हैं चुनाव आयोग के आंकड़ों से ......

बिहार में SIR का काम अंतिम दौर में
चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन का काम अंतिम दौर में है. अब तक 98 फीसदी वोटरों को कवर किया जा चुका है. 20 लाख मृतक वोटरों, 28 लाख स्थायी रूप से प्रवास कर चुके वोटरों और 7 लाख डुप्लिकेट वोटरों के नाम हटाए गए हैं. 1 लाख वोटरों का कोई पता नहीं चल सका है. 15 लाख मतदाताओं के प्रपत्र अभी तक वापस नहीं मिले हैं. अब तक कुल 7.17 करोड़ वोटरों (90.89%) के फॉर्म प्राप्त और डिजिटाइज्ड हो चुके हैं. फॉर्म जमा करने के लिए अब केवल एक दिन बचा हैं. बिहार के पात्र मतदाताओं की सूची 1 अगस्त को जारी की जाएगी .
भाजपा से 4 फीसदी अधिक वोट मिला था राजद को
2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और राजद के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था, वोट प्रतिशत में राजद भाजपा के काफी आगे थी, भाजपा को जहां केवल 19.46 फीसदी वोट मिला, वहीं राजद को 23.11 फीसदी वोट मिला था, लगभग 4फीसदी से थोड़ा कम भाजपा को मिला, लेकिन सीटों में महज दो-तीन सीट का अंतर था. भाजपा को 79 और राजद को 77 सीटें मिली थी. जद यू को 15.42 और कांग्रेस को 9.53 फीसदी वोट मिला. चुनाव आयोग के वोटर लिस्ट रिवीजन अभियान में अगर 55-56 लाख भी फर्जी मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैं तो इसका सीधा असर राजनीतिक दलों को मिलने वाले वोटों पर होगा. विपक्ष का आरोप है कि भाजपा चुनाव आयोग के साथ मिल कर उनके मतदाताओं के नाम सूची से हटाने में जुटा है, जिससे उनका नुकसान होगा.
फर्जी मतदाताओं के नाम हटने से मिलने वाले वोट पर होगा असर
बिहार में कुल 7 करोड़ 90 लाख मतदाता हैं. केवल 1 फीसदी मतदाताओं के नाम भी मतदाता सूची से हटाए जाते हैं, तो यह संख्या 7 लाख 90 हजार तक पहुंच जाएगी. लेकिन चुनाव आयोग ने जो अभी तक आंकड़े पेश की है, उसमें 55-56 लाख मतदाता फर्जी निकले हैं और उनके नाम हटा दिए गए हैं. बिहार में कुल 243 विधानसभा सीट है और कुल 77,895 पोलिंग बुथ हैं. मतलब हर विधानसभा में करीब 320 बुथ पड़ते हैं. इस तरह देंखें तो करीब 7-8 फीसदी फर्जी मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाएं जा सकते हैं. इसका सीधा असर राजनीतिक दलों को मिलने वाले वोटों पर पड़ेगा. मान लेते हैं कि 1 फीसदी फर्जी मतदाता के नाम हटा दिए गएं, यानि 7 लाख 90 मतदाता के नाम हटा दिए,इसे हर विधानसभा में बांटे, तो हर विधानसभा में करीब 3 हजार से अधिक मतदाता के नाम कट सकते हैं. अगर 7-8 फीसदी नाम कटें तो आंकडा हर विधानसभा में 20 हजार से भी अधिक हो सकता है.
सत्ता में आने और सीएम बनने का टुट सकता है सपना
बिहार में 2015 में 32 सीटें ऐसी थी, जहां महज पांच हजार के वोटों के अंतर से हार-जीत का फैसला हुआ था, वहीं 2020 में ऐसी 52 सीटें थी. जहां पांच हजार के अंतर से जीत-हार का फैसला हुआ. राजद नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि भाजपा ऐसी सीटों को ही टारगेट कर रही है और इन सीटों के खास बुथों पर खास समुदाय और वर्ग के लोगों का नाम मतदाता सूची से नाम हटाने में लगी है. ताकि विपक्ष को सत्ता में आने से रोका जा सकें. तेजस्वी को डर है कि भाजपा उनके वोटरों के नाम काटने में जुटी है, इससे उनके सत्ता में आने और सीएम बनने का सपना टुट सकता है, इसलिए तेजस्वी पूरजोर तरीके से हर मंच पर SIR का विरोध कर रहे हैं.
विपक्ष को हार का डर सता रहा है
जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद संजय झा ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि इंडी गठबंधन और तेजस्वी यादव को अपनी हार का डर सता रहा है, इसलिए वे SIR का विरोध कर रहे हैं.'









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