झारखंड में 5 राजनीतिक दल, तो बिहार में लाखों मतदाता गायब, क्या है माजरा ? जानिए चुनाव आयोग की रिपोर्ट में
- Jay Kumar
- Jul 22
- 2 min read

उपेंद्र गुप्ता
रांची ( RANCHI ) : पटना से लेकर दिल्ली तक बिहार में चुनाव आयोग के विशेष सारांश पुनरीक्षण (SIR) कार्य का विपक्षी दलों द्वारा जबरदस्त विरोध किया जा रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और है. सी तरह झारखंड में भी चुनाव आयोग फिलहाल राजनीतिक दोलों की स्थिति जानने में जुटी है, जिसमें यह पता चला है कि झारखंड के पांच राजनीतिक दल गायब है और कोई ठिकाना नहीं मिल रहा है. ऐसे में कई सवाल खड़ा होता है. चुनाव आयोग ने दोनों राज्यों की जो रिपोर्ट सार्वजनिक की है, पढ़िए इस रिपोर्ट को ...........
झारखंड के पलामू, गढ़वा, रांची के पांच राजनीतिक दलों का नहीं मिल रहा ठिकाना
झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार द्वारा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत वैसे पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त 7 राजनीतिक दलों जिनका कोई पता नहीं चल पा रहा था एवं इन्हें सूची से हटाने के क्रम में भारत निर्वाचन आयोग से निर्देश प्राप्त हैं. इन राजनीतिक दलों के अध्यक्ष/महासचिव को पार्टी के तरफ से शपथ पत्र सहित मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष लिखित पक्ष रखने हेतु पत्र निर्गत किया गया था. रांची के जनसाधारण पार्टी एवं झारखंड विकास दल के सक्षम पदाधिकारियों द्वारा अपने राजनीतिक दल के अस्तित्व हेतु अपना पक्ष रखा गया. लेकिन पांच राजनीतिक दल देवघर के भारत विकास मोर्चा, पलामू के भारतीय जनमुक्ति पार्टी एवं मानव मुक्ति मोर्चा, गढ़वा के नवजवान संघर्ष मोर्चा एवं रांची के राष्ट्रीय मजदूर किसान प्रजातांत्रिक पार्टी के कोई प्रतिनिधि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत नहीं हुए.

विदित हो कि उक्त राजनीतिक दलों को भरता निर्वाचन आयोग द्वारा सूची से हटाने के क्रम में आयोग से प्राप्त निदेश के आलोक में अध्यक्ष/महासचिव को पार्टी के तरफ से शपथ पत्र सहित लिखित पक्ष मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय, झारखण्ड, राँची को भेजने हेतु दिनांक 15.07.2025 तक एवं दिनांक 22.07.2025 को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, झारखंड द्वारा पूर्वाह्न 11.00 बजे सुनवाई हेतु तिथि एवं समय निर्धारित की गई थी.
इस आशय की सूचना राजनीतिक दलों को आयोग द्वारा पंजीकृत पत्राचार के पते पर भेजी गई थी. साथ ही इसकी जानकारी समाचार पत्रों में आम सूचना के माध्यम से एवं विभाग के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी प्रसारित की गई थी.
बिहार में 18 लाख मृत मतदाता, 26 लाख मतदाता दूसरे क्षेत्रों में गए, 7 लाख मतदाता दो स्थानों के मतदाता
बिहार में चल रहे विशेष सारांश पुनरीक्षण (SIR) में यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं कि 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाली प्रारूप मतदाता सूची में सभी पात्र मतदाता शामिल हों. संपूर्ण चुनाव तंत्र, जिसमें लगभग 1 लाख बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी), 4 लाख स्वयंसेवक और बिहार के सभी 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों द्वारा नियुक्त 1.5 लाख बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) शामिल हैं, उन मतदाताओं को खोजने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं जिन्होंने अभी तक अपने गणना प्रपत्र (EFs) जमा नहीं किए हैं या अपने पते पर नहीं मिले हैं.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO)/जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO)/निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO)/बीएलओ ने सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें की हैं और उन 21.36 लाख मतदाताओं की विस्तृत सूचियाँ साझा की हैं जिनके प्रपत्र अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं और साथ ही उन लगभग 52.30 लाख मतदाताओं की भी जो कथित तौर पर मृत हो चुके हैं या स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं या कई स्थानों पर नामांकित हैं.









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