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कोल्हान और संताल ही तय करेगा, किसकी बनेगी सरकार, पढ़िए खास रिपोर्ट ......

  • Writer: Jay Kumar
    Jay Kumar
  • Oct 17, 2024
  • 3 min read


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उपेंद्र गुप्ता

 

रांची (Ranchi): झारखंड विधानसभा के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने तिथियों का ऐलान कर दिया है, दो चरणों में मतदान किया जाना है और अगले एक-दो दिन में पहले चरण के लिए नामांकन का कार्य शुरू कर दिया जाएगा. हालांकि अभी किसी राजनीतिक दल ने अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की है. लेकिन तैयारी अंतिम चरण में है. 2019 की तुलना में 2024 में इंडी गठबंधन और एनडीए दोनों के बीच मुकाबला कांटे के होने की पूरी संभावना है. झामुमो के नेतृत्व वाली इंडी गठबंधन की सरकार हर हाल में दूसरी बार सत्ता पर कब्जा करने की तैयारी में जुटी है,तो एनडीए 2019 की हार को इस बार जीत में तब्दील करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. दोनों गठबंधन की जीत का रास्ता संतालपरगना की 18 और कोल्हान की 14 सीटों पर निर्भर करता है. 2019 के आंकड़े को देखें तो संताल और कोल्हान में बंपर जीत के कारण ही हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बनने में सफल हुए, इसलिए इस बार भी कोल्हान और संताल में जीत ही मुख्यमंत्री का रास्ता तय करेगा.

 

2019 में कोल्हान में भाजपा का सूपड़ा हो गया था साफ

 

2019 में एनडीए का कुनबा पूरी तरह बिखरा था, भाजपा,आजसू अलग-अलग चुनाव लड़ी थी, जिसका असर विधानसभा चुनाव में साफ दिखा. भाजपा और आजसू दोनों का सूपड़ा साफ हो गया. जबकि झामुमो और कांग्रेस को एकतरफा जीत मिली. कोल्हान की सभी 14 सीटों पर इंडी गठबंधन ने कब्जा जमाया. 11 सीटों पर अकेले झामुमो को बंपर जीत मिली, तो कांग्रेस को 2 सीटों पर कामयाबी मिली. वहीं एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने वाले सरयू राय को झामुमो-कांग्रेस का साथ मिला था और उन्होंने जीत हासिल की थी.

 

कोल्हान में चंपई और सरयू ने बदला सियासी समीकरण

 

2019 के मुकाबले 2014 में कोल्हान में सियासी समीकरण पूरी तरह बदल गया है. इस बार एनडीए का कुनबा पूरी तरह एकजूट है यानि भाजपा और आजसू मिल कर चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं इस बार जनता दल यू भी शामिल हो चुका है. जिससे एनडीए का कुनबा पूरी तरह मजबूत दिख रहा है. लेकिन सबसे बड़ा बदलाव कोल्हान में झामुमो का सबसे बड़ा चेहरा पूर्व सीएम चंपई सोरेन भाजपा में शामिल हो गए हैं और अपनी परंपरागत सीट सरायकेला से मैदान में उतरेंगे. वहीं जमशेदपुर पूर्वी से विधायक सरयू राय जनता दल यू में शामिल हो गए हैं और इस बार अपनी पुरानी सीट जमशेदपुर प0 से मैदान में ताल ठोकेंगे.

इसके आलावा प0 सिंहभूम में कोड़ा दंपति के भी भाजपा में शामिल होने से जगन्नाथपुर से गीता कोड़ा मैदान में उतरेगी. पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा का पोटका विधानसभा से चुनाव लड़ने की पूरी संभावना है. इसलिए इस बार कोल्हान में झामुमो के लिए 2019 वाली सफलता का दोहराना आसान नहीं है.  

 

 

संताल में भी एनडीए और इंडी गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला

2019 के विधानसभा चुनाव में संताल परगना के 18 में से 14  सीटों पर इंडी गठबंधन ने कब्जा जमाया था. झामुमो ने 9 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस को 4 सीट पर और जेवीएम को एक सीट पर जीत मिली थी, बाद में जेवीएम विधायक प्रदीप यादव ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी. संताल में भाजपा को केवल 4 सीट से ही संतोष करना पड़ा था. इस बार संताल में भी कोल्हान की तरह सियासी समीकरण पूरी तरह बदला हुआ है. एनडीए एकजूट है और उत्साहित दिख रही है.

संताल में घुसपैठ और भ्रष्टाचार बनेगा मुख्य चुनावी मुद्दा

इस बार संताल में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा काफी गरम है. जो चुनावी मुदा भी बन गया है. भाजपा संताल में बांग्लादेशी घुसपैठ और भ्रष्टाचार के मुद्दे को अभी से ही खूब जोर-शोर से उठा रही है. घुसपैठ के मुद्दे को भाजपा ने आदिवासियों की अस्मिता से सीधे जोड़ दिया है. जिसका असर आदिवासी समाज में दिखने लगा है, आदिवासी समाज की बेटियों से शादी कर जमीन हड़पने की साजिश का भाजपा ने पर्दा हटा दिया है, वहीं संताल में बदल रहे डेमोग्राफी को लेकर भी भाजपा लोगों को सतर्क करने में जुटी है. सीएम हेमंत सोरेन और पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के जेल जाने से संताल में भ्रष्टाचार का मुद्दे को भी भाजपा पूरे जोर-शोर से उठा रही है और इसे चुनावी मुद्दे से जोड़ दिया है. इन सभी मुद्दों से निपटना सीएम हेमंत सोरेन और इंडी गठबंधन के लिए एक बडी चुनौती होगी. सीएम हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन और झामुमो के कद्दावर नेता लोबिन हेम्ब्रम के भाजपा में शामिल होने से संताल का समीकरण बदला है, हालांकि दोनों लोकसभा चुनाव हार गए, लेकिन विधानसभा में परिस्थिति अलग होगी.   

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