ईवीएम से नहीं किया जा सकता किसी तरह का छेड़छाड़, चुनाव आयोग ने क्यों किया ऐसा दावा, पढ़िए इस रिपोर्ट में
- Jay Kumar
- Jul 31
- 2 min read

दिल्ली ( DELHI ) : इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों ( ईवीएम) की जांच और सत्यापन से एक बार फिर साबित हो गया है कि इससे किसी तरह का छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता है और यह पूरी तरह से सुरक्षित है. चुनाव आयोग ने दावा किया है कि ईवीएम पूरी तरह टैम्पर-प्रूफ हैं. आयोग के इस दावे के बाद विपक्ष के द्वारा देश भर में फैलाया जा रहा ईवीएम पर अफवाह पूरी तरह खारिज हो गया है.
डायग्नोस्टिक जांच में सफल रहीं ईवीएम और वीवीपैट्स
दरअसल, महाराष्ट्र के दस विधानसभा के हारे हुए प्रत्याशियों की शिकायत पर आयोग ने राज्य के 10 विधानसभा क्षेत्रों के बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट्स (VVPATs) की जांच और सत्यापन की. सभी मामलों में मशीनें डायग्नोस्टिक जांच में सफल रहीं और वीवीपैट स्लिप्स की गिनती में कोई विसंगति नहीं पाई गई. इस प्रक्रिया ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि ईवीएम टैम्पर-प्रूफ हैं और किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. जांच में 10 विधानसभाओं में 48 बैलेट यूनिट, 31 कंट्रोल यूनिट और 31 वीवीपैट्स की जांच और सत्यापन की गई थी. जांच के दौरान 8 आवेदक, जो सभी हारे हुए प्रत्याशी थे, और अन्य उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि इस प्रक्रिया के दौरान उपस्थित रहे.
147-कोपरी-पछपखड़ी, 148-ठाणे, 211-खडकवासला और 229-माजलगाँव में (3 सेट ईवीएम्स पर) अनुरोध के अनुसार बर्न्ट मेमोरी/माइक्रोकंट्रोलर की डायग्नोस्टिक जांच की गई। जांच के बाद, निर्माता (इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, ECIL) के अधिकृत इंजीनियरों ने प्रमाणित किया कि सभी मशीनें जांच में सफल रहीं. 188-पनेल, 192-अलीबाग, 80-अर्णी, 119-येवला, 271-चंदगड, 276-कोल्हापुर उत्तर और 229-माजलगाँव के शेष 3 सेट ईवीएम्स पर डायग्नोस्टिक जांच एवं मॉक पोल भी किया गया. पहले डायग्नोस्टिक जांच की गई, जिसमें सभी मशीनें सफल रहीं. इसके बाद उम्मीदवारों के अनुरोध पर मॉक पोल किया गया. ईवीएम (कंट्रोल यूनिट) के परिणामों की वीवीपैट स्लिप्स की गिनती से तुलना की गई, जिसमें कोई अंतर नहीं पाया गया.
जांच और सत्यापन के बाद आयोग ने दावा किया कि इस समग्र प्रक्रिया ने एक बार फिर सिद्ध किया कि भारत में प्रयुक्त ईवीएम्स सुरक्षित, विश्वसनीय और टैम्पर-प्रूफ हैं.









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