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भारी बारिश और काली अँधेरी रात में घायल हाथी का सारंडा के घने जंगल के अन्दर ही शुरू हुआ ईलाज

  • Writer: Jay Kumar
    Jay Kumar
  • Jul 6
  • 3 min read

वन विभाग और वनतारा की टीम मौके पर मौजूद, बम विस्फोट से घायल हाथी के पैर के उड़े हैं चीथड़े    

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सारंडा, पश्चिम सिंहभूम: पश्चिम सिंहभूम के सारंडा जंगल में वन विभाग के अथक प्रयास के बाद शनिवार को घायल हाथी का ईलाज शुरू हो गया है. इससे पहले शनिवार के भोर तड़के से वन विभाग और वनतारा की टीम हाथी का रेस्क्यू करने और उसका ईलाज करने के अभियान में जुटी थी. जिसमें सफलता शनिवार देर शाम को मिली. घायल हाथी को ट्रेंक्यूलाइज़ कर बेहोश कर दिया कर दिया गया है. और उसके बाद जंगल में ही उसका ईलाज शुरू कर दिया गया है.    


मालूम रहे की यह हाथी नक्सलियों द्वारा जमीन के अन्दर लगाए गए आईईडी बम का शिकार हुआ है. हाथी ने बम पर पैर रखा और उसके पैर के चीथड़े उड़ गए. हाथी अपना जख्मी पैर लिए बीते दस दिनों से सारंडा जंगल में भटक रहा था. लम्बा वक्त गुजर जाने के कारण विस्फोट से हुए गहरे जख्म से हाथी के शरीर पर संक्रमण का खतरा भी बना हुआ है.  

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बहरहाल शनिवार को सारंडा डीएफओ अभिरूप सिन्हा के नेतृत्व में झारखण्ड और ओडिशा की वन विभाग की टीम ने विश्व प्रसिद्ध गुजरात की वनतारा के अनुभवी डॉक्टर और रेस्क्यू टीम के साथ मिलकर ना सिर्फ घायल हाथी का रेस्क्यू किया बल्कि बारिश और काली अँधेरी रात में जख्मी हाथी को बचाने के अभियान में जुटी हुयी है.


एक जख्मी हाथी का सारंडा जैसे घने जंगल में ईलाज करना और उसे काबू में लाना इतना आसान नहीं था. इसके लिए झारखण्ड के पश्चिम सिंहभूम वन विभाग की टीम, ओडिशा के राउरकेला और क्योंझर वन विभाग की टीम लगी हुई थी. जब इस टीम को भी यह काम आसान नहीं लगा तो गुजरात जामनगर से वनतारा वन्य जीव अभ्यारण्य से विशेषज्ञों की टीम को बुलाना पड़ा. जिसमें डॉक्टर से लेकर रेस्क्युएर टीम मौजूद हैं.


जख्मी हाथी हिंसक हो चूका था. उसके सामने जो भी आता था वह उसे जख्मी पैर के साथ लंगड़ाते दौड़ाने लगता था. ऐसे में हाथी के सफल ईलाज और उसके रेस्क्यू ऑपरेशन को कामयाब करने के लिए हाथी को ट्रेंक्यूलाइज़ करना बेहद जरुरी था. "ट्रेंक्यूलाइज़" यानी हाथी को औषधीय तीर मरकर उसे शांत और बेहोश करना था. इसके लिए वनतारा की एक्सपर्ट टीम को लगाया गया. हाथी को किसी तरह मुख्य सड़क पर लाया गया और ट्रेंक्यूलाइज़र गन से हाथी पर औषधीय तीर चलाया गया. औषधीय तीर लगने के एक घंटे के भीतर घायल हाथी शांत होकर बेहोशी की हालत में सो गया है.

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देर शाम को वन विभाग और वनतारा की टीम ने घायल हाथी का ईलाज शुरू किया है. हाथी को जब करीब से देखा गया तो यह स्पष्ट हो गया है की हाथी का पैर जोरदार बम विस्फोट से क्षतिग्रस्त हो गया है. पैर के निचले हिस्से के मांस के चीथड़े उड़ गए हैं. घनघोर काली अँधेरी रात और लगातार हो रही बारिश के बीच हाथी के पैर को फिर से ठीक करने की कवायत में दो राज्य के वन विभाग की टीम और वनतारा के विशेषज्ञ लगे हुए हैं. सभी ईश्वर से यही प्रार्थना कर रहे हैं की घायल हाथी जल्द से जल्द ठीक हो जाये.

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ओडिशा-झारखण्ड के वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के साथ साथ वनतारा की टीम ने एक बेजुबान हाथी को बचाने में जो साहस और कर्तव्यनिष्ठा का प्रदर्शन किया है. वह काबिले तारीफ है उम्मीद की जानी चाहिए की इन सभी का प्रयास रंग लायेगा और घायल हाथी स्वस्थ होकर सारंडा जंगल में फिर से लौटेगा.


--- सारंडा जंगल के ग्राउंड जीरो से अरविन्द लोहार की विशेष रिपोर्ट.

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